Option Scalping क्या होता है ? for Beginner

जितने भी ट्रेडर्स है स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करते है उनका सिर्फ एक उद्देश्य है अधिक प्रॉफिट करना |  स्टॉक मार्केट में पैसे कमाने के लिए बहुत सी शैलियाँ है उनमे से ही एक शैली है " ऑप्शन स्केल्पिंग " आज हम इस ब्लॉग पोस्ट में ऑप्शन स्केल्पिंग के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे की ऑप्शन स्केल्पिंग क्या होती है फॉर बिगिनर के लिए और बिगनर ऑप्शन स्केल्पिंग कैसे शुरू कर सकते है यह भी जानेगे बने रहिए हमारे ब्लॉग पर| 

option scelping kya hota hai for beginner


 ऑप्शन  स्केल्पिंग क्या होता है ? | Option Scalping kya hota hai 


किसी स्टॉक के ऑप्शन के अंदर छोटे टाइम फ्रेम पर कम समय  के लिए की जाने वाली ट्रेडिंग ऑप्शन स्केल्पिंग कहलाती है | छोटे टारगेट के साथ ऑप्शन शेयर की ज्यादा मात्रा में ट्रेड करते है  जिससे ज्यादा प्रॉफिट हो , ऑप्शन स्केल्पिंग में एक दिन में कई ट्रेड लिए जाती है |

ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय मार्केट में ज्यादा इंतजार नहीं करना होता है कुछ सेकेंड या कुछ मिनट में ट्रेड में एंट्री करके मुनाफा होने पर एग्जिट करना होता है | ऑप्शन स्केल्पिंग में एक दिन में 8-12 या इससे भी ज्यादा ट्रेड हो जाता है जिससे ज्यादा मुनाफा होता के कम टारगेट पर भी | 



ऑप्शन स्केल्पिंग की शुरआत कैसे करे ? | Option Scalping ki shurat kaise kare

आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरुरी है जिसमे आप ऑप्शन स्केल्पिंग करोगे | ऑप्शन स्केल्पिंग की  शुरआत करने के लिए आपको टेकिन्कल एनालिसिस , कैंडलस्टिक पैटर्न , प्राइस एक्शन और रिस्क मेनेजमेंट आनी चाहिए | अगर आपने यह सब सिख लिया है तो आपको असली ट्रेडिंग करने से पहले पेपर ट्रेडिंग करनी चाहिए जिससे आप टेकिन्कल एनालिसिस , कैंडलस्टिक पैटर्न , प्राइस एक्शन और रिस्क मेनेजमेंट को ओर बेहतर कर सके जिससे नॉलेज ओर बढ़ेगी  और आप मार्केट के भीहेविएर को ओर अच्छे से समझ पाओगे |


पेपर ट्रेडिंग में 70 % एक्यूरेसी होने के बाद आपको असली पैसे से ऑप्शन स्केल्पिंग करनी है | शुरआत में ज्यादा पैसो से ऑप्शन स्केल्पिंग नहीं करनी है ऑप्शन स्केल्पिंग में कम से कम 10000 से शुरू करनी चाहिए | ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय यह जरूर ध्यान रखे की मार्केट में ज्यादा लॉस भी नहीं लेना है लॉस को कम  करने के लिए मार्केट में रुके नहीं रहना है तुरंत एग्जिट करना है ताकि कम लॉस हो | अपनी स्ट्रैटजी को बेहतर बनाते जाना है अपनी स्ट्रैटजी पे काम करके |  



ऑप्शन स्केल्पिंग के कुछ नियम | Option Scalping ke kuch rules


ऑप्शन स्केल्पिंग के कुछ नियम को समझना जरुरी है जिससे आपको ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय लॉस न हो हो भी तो ज्यादा लॉस न हो |  


1) तुरंत एक्शन(Action) लेना ;-

ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय तुरंत एक्शन  लेने का तजुरबा  (skill) होना चाहिए क्योकि ऑप्शन स्केल्पिंग में कुछ सेकंड से कुछ मिनट में ट्रेड में एंट्री करनी पड़ती है और एग्जिट करनी पड़ती है अवसर मिलने पर | वरना वह अवसर हाथ से निकल जाता है और  गलत समय पर एंटी हो जाती है जिससे मार्केट में लॉस लेना पड़ता है | इसलिए तुरंत एक्शन लेना भी एक स्किल(skill) है ऑप्शन स्केल्पिंग में 

risk ko kaise manag kare
2) रिस्क मेनेजमेंट ;-

  ऑप्शन स्केल्पिंग का सबसे महत्वपूर्ण  नियम है "रिस्क मेनेजमेंट" | रिस्क मेनेजमेंट का मतलब  है अपने ट्रेडिंग गतिविधियों को कंट्रोल करना ताकि लॉस कम हो सके   ताकि  स्क्लेपेर अपने केपिटल को बचा सके ऑप्शन स्केल्पिंग करने के लिए |  ऑप्शन स्केल्पिंग में लाभ प्रतिशत कम होता है लेकिन शेयर की मात्रा बहुत अधिक होती है जिससे लॉस होने का डर बना रहते है इसलिए मार्केट में रिस्क मेनेजमेंट सीखना बहुत जरुरी होता है | ऑप्शन स्केल्पिंग में आपको रिस्क टू रिवॉर्ड कितना लेना है सिद्ध करना  होगा 1*1,1*2 या 1*3 इससे क्या होगा की आपका प्रॉफिट और लॉस सिद्ध हो जाता है की कितना लॉस आप एक ट्रेड में लोगे और किंतना प्रॉफिट | ऑप्शन स्केल्पिंग में 1*1  श्रेष्ठ 1*2 होता है | 

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3) अनुशासन बनाए रखें;-

ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय अनुशासन में रहना पड़ता है बिना अनुशासन में रहे आप एक प्रॉफिटेबल ट्रेडर नहीं बन पाऐंगे | पुरे सेटअप के साथ अपनी स्ट्रैटजी बनाके और रिस्क को मैनेज करके ऑप्शन स्केल्पिंग करनी है | एक ट्रेड में लॉस होने पर  अपने भावनाओ पे कंट्रोल करना है ताकि अगला ट्रेड अच्छे से प्लान कर सके |  बिना अनुशासन में रहे आप अपना केपिटल भी गवा सकते है | अगर आप अपने केपिटल का 10% रोजाना ऑप्शन स्केल्पिंग करके कमा रहे हो तो आप एक अच्छे स्केलपर कहलाओगे चाहे आपके एक दिन में किनते भी ट्रेड लेने पड़े | 


4) पूर्ण ध्यान ;-

ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय मार्केट में आपका पूर्ण ध्यान होन चाहिए ताकि आप छोटे-छोटे स्केल्प को ले सको और मार्केट में सही समय पर एंट्री और एग्जिट कर सको | ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय सिर्फ ऑप्शन के चार्ट पर ध्यान होना चाहिए ताकि मार्केट का बिहेवियर जान सको | ओर कोई काम पे नहीं अगर आप काम करते हो तो आपके लिए ऑप्शन स्केल्पिंग नहीं है स्टॉक मार्केट में और भी बहुत सी ट्रेडिंग है जैसे स्विंग ट्रेडिंग कर सकते हो |


5) मार्केट में ज्यादा इंतजार न करना ;- 

ऑप्शन स्केल्पिंग में मार्केट में ट्रेड लेने की बाद ज्यादा इंतजार नहीं करन है क्योकि कुछ मिनट में ही मार्केट बड़ा मूव दे देती है इसलिए तरगेट हिट होने पर आप एग्जिट कर दो या ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस करो | टारगेट हिट होने के बाद आप ट्रेलिंग स्टॉप-लॉस कर सकते है जिसमे टारगेट हिट होने का बाद अपना स्टॉप-लॉस टारगेट की जगह लगा दो जिससे आप और पॉइंट कैप्चर कर सकते हो अगर प्राइस बढ़ता है तो वार्ना आपका जो टारगेट था वही मिलेगा जहा अपने स्टॉप-लॉस लगाया होगा | 


ऑप्शन स्केल्पिंग के फायदे और नुकसान | Option Scalping ke Phaede or Nuksan 

ऑप्शन स्केल्पिंग करने के कुछ फाएदे ;-

1)ऑप्शन स्केल्पिंग करे आप कुछ मिनट में अच्छा पैसा कमा सकते हो | 

2)ऑप्शन स्केल्पिंग में होल्डिन समय कम होता है जिससे सैडवेस मार्केट में भी प्रॉफिट कर सकते हो | 

3)ऑप्शन स्केल्पिंग में ट्रेड लेने की कोई सिमा नहीं होती है | 

4)ऑप्शन स्केल्पिंग के लिए आपको फंडामेंटल एनालिसिस की जरुरत नहीं होती है सिर्फ टेक्निकल एनालिसिस , रिस्क मेनेजमेंट , कैंडलस्टिक पैटर्न और प्राइस एक्शन की जरुरत होती है | 1

5)ऑप्शन स्केल्पिंग में अधिक प्रॉफिट की संभावना होती है | 


ऑप्शन स्केल्पिंग करने के कुछ नुकसान;-

1)ऑप्शन स्केल्पिंग करने के लिए ज्यादा शेयर खरीने होता है जिसमे ज्यादा पैसा लगता है | 

2)मार्केट में ज्यादा इंतजार करने से लॉस भी ज्यादा हो सकता है | 

3)ऑप्शन स्केल्पिंग में रिस्क भी बहुत होता क्योकि शेयर की ज्यादा मात्रा होती है सही समय पर एग्जिट न करने पर लॉस बहुत बढ़ जाता है |

4)ऑप्शन स्केल्पिंग में रिस्क टू रिवॉर्ड के बिना ट्रेड लेने पर कैपिटल पर बहुत प्रभाव पड़ता है | 

5)ऑप्शन स्केल्पिंग में ट्रेड लेने की कोई सिमा  नहीं होती इसलिए ब्रोकरेज चार्ज भी बहुत बढ़ जाता है |  


Option Scelping Setup | ऑप्शन स्केल्पिंग  के लिए सेटअप 

i) Candlestick based 

ऑप्शन स्केल्पिंग में ट्रेड सेटअप बनाने के लिए कैंडलस्टिक पैटर्न काम में आता है क्योकि एक कैंडल से मार्केट के मूव का पता लगा सकते है जैसे मार्केट में  हेमर कैंडल टॉप पे बनती है तो मार्केट के निचे ऐनी आने की संभावना बढ़ जाती है | कैंडलस्टिक बहुत से प्रकार के होता है उनमे सी ही कुछ है डोजी,हेमर,पिन्बार आदि यह है| कैंडलस्टिक पैटर्न का इस्तेमाल करके ऑप्शन स्केल्पिंग में अच्छा सेटअप बना सकते है | 


ii) Support & Resistance 

सपोर्ट और रेजिस्टेंस ऑप्शन स्केल्पिंग में बहुत काम आ सकते है क्योकि मार्केट कहाँ से सपोर्ट लेकर ऊपर जाएगा या कहाँ से रेजिस्टेंस लेकर निचे आएगा यह सपोर्ट और रेसिसिटंस से ज्ञात कर सकते है और पुराने सपोर्ट या रेजिस्टेंस को मार्क लाइव मार्केट में ऑप्शन सेकलपिंग कर सकते है | 


iii) Trendline based 

मार्केट के ट्रैंड को पहचान के मार्केट में ऑप्शन स्केल्पिंग सेटअप बना सकते हो जब मार्केट  उप-ट्रैंड या डाउन-ट्रैंड  में होता है तो  मार्केट सीधा ऊपर या सीधा  निचे नहीं जाता मार्केट बीच-बीच में रिजेक्शन ले के ऊपर या निचे जाता है | जब मार्केट एक से ज्यादा बार रिजेक्शन लेकर ऊपर या निचे जाए तो आप ऑप्शन स्केपिंग सेटअप बना सकते हो | अगले रिजेक्शन को पहचान के | 


iv) Range based 


मार्केट कभी-कभी एक रेंज में गुमने लग जाता है उस रेंज में ऑप्शन स्केल्पिंग सेटअप बना सकते है | इस रेंज में  कैंडलस्टिक पैटर्न काम में आता है अगर इस रेंज में कैंडलस्टिक पैटर्न बनता दीखता है तो  ट्रेड सेटअप बना लेना है फिर कन्फोर्मशन मिलने पे ट्रेड ले लेना है और टारगेट हिट होने पे एग्जिट कर देना है | 


v) Indicator based 

ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय इंडिकेटर भी काम में आती है | इंडिकेटर भी मार्केट के मूव को पहचाने के लिए इस्तेमाल करते है | अच्छा इंडिकेटर EMA है जिससे आप मार्केट ऑप्शन स्केल्पिंग करते समय इस्तेमाल  सकते हो | 

निष्कर्ष 

तो दोस्तों अगर आप ऑप्शन स्केल्पिंग में नए  हो तो आपको पहले पेपर ट्रैड करना चाहिए जब पेपर  ट्रेडिंग में आपके प्रॉफिट होने तब आपको ऑप्शन स्केल्पिंग असली पैसो से करनी और ध्यान रहे बहुत ज्यादा पैसो से नहीं करनी और मार्केट से सीखते रहना है लॉस होने पर अपने इमोसेन्स पर कंट्रोल करना है | 


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